बच्चों की बोर्ड परीक्षाओं को लेकर एक अलग ही भौकाल रहता है।
पूरा देश चाक चौबंद है। बोर्ड परीक्षा केंद्र, शिक्षक, स्कूल, कोचिंग सेंटर, फ्लाइंग स्कॉट टीम,अभिभावक गण, छात्र-छात्रागण सब चौकन्ने हैं।
साल भर माता-पिता, शिक्षकों के दिशा निर्देशन में चले अभ्यास अध्ययन के बाद बच्चे आश्वस्त भी हैं और सशंकित भी।
शिक्षक जो कर सकते हैं कर रहें हैं।
हम अभिभावक क्या कर सकते हैं:
1) घर में पूर्ण व्यवस्था बना के रखें
बच्चों की चीजें व्यवस्थित रखने में उनकी सहायता करें।
2) हवा, प्रकाश की समुचित व्यवस्था हो।
3) शांति बनाए रखें।
4 ) बच्चों से व्यर्थ की बातें न करें।
5) उनके सामने टीवी, मोबाइल, ज़ोर जोर से न देखें न चलाएं।
समझिए! इन बिचारे बच्चों ने ऐसे युग में प्रवेश किया है जहां छिछली, बदसूरत दुनिया उन्हें इस बजबजाती दलदल में घसीट रही है।आप उनको जितना हो सके क्लोज सर्कल प्रोवाइड करें जिसमें प्रेम, स्नेह, आदर, त्याग, सहिष्णुता,सहभागिता, दया भाव का शुद्ध वातावरण हों ( केवल दिखावे के लिए नहीं वास्तव में हो)
6) सबसे बड़ी बात भोजन
परीक्षाओं के समय बच्चे शारीरिक रूप से कम सक्रिय, दिमागी तौर पर काफी सक्रिय होते हैं।
इसलिए भोजन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
ताजे धुले फल, फलों के ताज़ा जूस, ककड़ी, खीरा, टमाटर, संतरा, अंगूर आदि खाएं।
रिफ्रेशमेंट के लिए भुने मखाने,भुनी मूंगफली, चने, कॉर्न खाएं।
दाल चावल सब्जी रोटी के साथ सलाद, दही लें।
आचार, मसाले वाली सब्जियों से परहेज करें तो बेहतर।
नाश्ते में चीला, उपमा, पोहा आदि लें।
बच्चों के द्वारा की गई आलू के परांठे की डिमांड को यह कहकर ठुकराया है मैने कि आपके पेट को परांठों को पचाने के लिए फिर उतनी ऊर्जा भी चाहिए होगी जबकि आपकी सारी ऊर्जा अभी दिमाग को चाहिए तो बेटाजी आप रोटी और हरी साग सब्जी खाओ जो सुपाच्य और पौष्टिक होने के साथ पेट को हल्का रखती है और आप ज्यादा एकाग्रचित्त होकर पढ़ भी सकते हैं।
नींद ना तो बहुत कम लें,ना बहुत ज्यादा। अपनी आदतों और दिनचर्या के हिसाब से पढ़ें और सोएं।
दिनचर्या: ये समय नई आदतों को अपनाने के लिए बिल्कुल सही नहीं हैं, आपके दोस्त कब पढ़ते हैं? कब सोते हैं?,कितना मनोरंजन करते हैं? कोई चर्चा न करें। नहीं तो डिस्ट्रैक्शन के चांस बढ़ जाते हैं।
डाउट: जो बातें या सवाल मन में हो यदि जरूरी ना हो तो …टालें।
अपने कोर्स के सवालों के लिए अपने टीचर्स या जानकार से संपर्क करें नहीं तो समय बरबाद होगा और भ्रम पैदा होगा।
तरीका: पोर्शन की लिस्ट बनाएं,जितना कंप्लीट होते जाए टिक मार्क करते जाएं। जितना अच्छे से आता है उसे रिवाइज करें जितना बन रहा है उसे पढ़ें,जो बिल्कुल नहीं समझ आ रहा उसे सरसरी निगह से देखें और आगे बढ़ें।
समय: सिलेबस को समय के अनुसार बाटे और सुनिश्चित करें कि पोर्शन उसी समय के भीतर खत्म हो।
समय सीमा पर उत्तर लिखने का अभ्यास भी करें।
पढ़ाई: पिछले कुछ वर्षों के पेपर सॉल्व करें, सैंपल पेपर करें, इंपॉर्टेंट प्रश्नों को हल करके देखें। नोट्स में मुख्य बिंदुओं को अंडरलाइन करें । समरी तैयार कर वहीं स्टीकी नोट लगा लें ताकि रिवीजन के समय सुविधा हो।
उत्तरपुस्तिका : आपके मन का आकलन आपकी आंसर शीट से किया जा सकता है।
इसलिए अपनी व्यग्रता को साफ कर रखिए सब अच्छा ही होगा यह विश्वास रखिए।
प्रश्न पत्र अच्छे से पढ़ें।
प्रश्न ध्यान से पढ़ें फिर जो आसान हो पहले करें,फिर जो आते हैं उन्हें करें।
फिर कठिन प्रश्न हल करें।
पॉइंट्स की मदद से आंसर लिखें।
मुख्य बिंदुओं को अंडरलाइन करें।
जितनी शब्द संख्या बोली है, उतने में ही आंसर दें।
मैथ्स में हर आंसर में यूनिट लिखना ना भूलें।अंत में उत्तर स्पष्ट रूप से लिखें।
अपनी आंसर शीट को नीट एंड क्लीन रखिए, जवाब साफ और स्पष्ट लिखिए।
कोई गलती हो गई हो तो एक लाइन के माध्यम से कट कर अपना उत्तर पुनः लिखिए। गोदा-गादी मत करें।
रफ काम जहां करें, वहां रफ कार्य हेतु जरूर लिखिए।
अंकों के हिसाब से समय बाँट लीजिए,और उसी समय सीमा में पूर्ण कीजिए।
पेपर सॉल्व हो जाने के बाद 10 मिनट का समय रिचेक के लिए रखिए। सारे प्रश्न हल हो गए की नहीं जरूर जांचे।
मन : मन को साध कर रखें, विचलित न हो,खुद पर विश्वास बना कर रखें।
कोई मार्क शीट आपके संपूर्ण व्यक्तित्व को परिभाषित नहीं कर सकता यह अच्छे से समझ लीजिए।
सभी बच्चों को परीक्षाओं की मंगल शुभकामनाएं 🙏🙏🙏